भारत में लिंगानुपात | Sex-Ratio in India
भारत में लिंगानुपात का राज्यवार मानचित्र सहित वर्णन।
लिंगानुपात का अर्थ:
- जनसंख्या भूगोल में लिंग संरचना का अध्ययन बहुत जरूरी है।
- स्त्रियों और पुरुषों के अनुपात को ही लिंगानुपात कहते है।
- किसी भी समाज में लिंगानुपात उसके सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक स्थिति पर बहुत अधिक निर्भर करता है।
- सामान्य रूप में जनसंख्या में लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या से है।
- यदि स्त्रियों की जनसंख्या 1000 से अधिक है तो वह स्त्री प्रधान जनसंख्या कहा जा सकता है।
- यदि 1000 से कम है तो वह सामान्यतः पुरुष प्रधान कहा जाता है।
- विश्व के लगभग ज्यादातर देशों में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की जनसंख्या कम ही देखा गया है।
- इसलिए क्लार्क महोदय का भी कहना है कि विश्व के लगभग सभी समाजों में परिवार को तक तक पूरा नहीं माना जाता उस परिवार में लड़के का जन्म न हो जाए।
- क्लार्क के इस उद्वरण से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि विश्व के देशों में लिंगानुपात की स्थिति क्या होगी।
लिंगानुपात किसी क्षेत्र को आर्थिक स्थिति का सुन्दर सूचक है और यह प्रादेशिक विश्लेषण में अत्यंत उपोदक है।
भारत में लिंगानुपात:
- भारत में लिंगानुपात के दशकीय आंकड़े निम्न प्रकार से है-
क्रमांक |
दशकीय वर्ष |
लिंगानुपात |
1. |
1901 |
972 |
2. |
1911 |
964 |
3. |
1921 |
954 |
4. |
1931 |
952 |
5. |
1941 |
947 |
6. |
1951 |
948 |
7. |
1961 |
943 |
8. |
1971 |
930 |
9. |
1981 |
934 |
10 |
1991 |
929 |
11. |
2001 |
933 |
12. | 2011 |
940 |
- भारत में लिंगानुपात की स्थिति अच्छी नहीं है।
- भारत में लिंगानुपात के दशकीय आंकड़े देखे तो यह ज्ञात होता है कि लिंगानुपात काफी तेजी घट रहा है।
- जो लिंगानुपात 1901 में 972 था वह अब 2011 में घटकर 940 हो गया है।
- 1901 से 2011 तक के दशकीय कालखंड में लिंगानुपात सबसे कम 1991 में 929 थी।
|
भारत में लिंगानुपात का ग्राफ |
भारत में राज्यवार लिंगानुपात:
- भारत के राज्यों में लिंगानुपात की स्थिति में पर्याप्त असमानता है।
- कुछ राज्यों में लिंगानुपात ज्यादा है कुछ में है।
- इस भिन्नता का प्रमुख कारण वहां की सामाजिक ऐतिहासिक परिस्थितियां है।
- राज्यवार लिंगानुपात के आंकड़े 2011 के अनुसार निम्न प्रकार से है-
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क्रमांक |
राज्य |
लिंगानुपात |
1. |
केरल |
1084 |
2. |
तमिलनाडू |
995 |
3. |
आंध्र प्रदेश |
992 |
4. |
छत्तीसगढ़ |
991 |
5. |
मणिपुर |
987 |
6. |
ओड़िशा |
978 |
7. |
मिजोरम |
975 |
8. |
मेघालय |
975 |
9. |
हिमाचल प्रदेश |
974 |
10. |
कर्नाटक |
968 |
11. |
गोवा |
968 |
12. |
उत्तराखंड |
963 |
13. |
त्रिपुरा |
961 |
14. |
असम |
954 |
15. |
प. बंगाल |
947 |
16. |
झारखंड |
947 |
17. |
नागालैंड |
931 |
18. |
मध्य प्रदेश |
930 |
19. |
राजस्थान |
926 |
20. |
महाराष्ट्र |
925 |
21. |
अरुणाचल प्रदेश |
920 |
22. |
गुजरात |
918 |
23. |
बिहार |
916 |
24. |
उत्तर प्रदेश |
908 |
25. |
पंजाब |
893 |
26. |
सिक्किम |
889 |
27. |
जम्मू-कश्मीर |
883 |
28. |
हरियाणा |
871 |
विश्लेषण:
- केरल राज्य में लिंगानुपात 1084 यानी एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1084 है।
- इसके बाद तमिलनाडू का स्थान है जहां 1000 पुरुषों पर महिलाओं की 995 है।
- इसके बाद आंध्र प्रदेश (992), छत्तीसगढ़ (991), मणिपुर (987), ओडिशा (978) आदि राज्य आते है।
- सबसे कम लिंगानुपात राज्यों के संदर्भ में हरियाणा का है जहां 1000 पुरुषों पर केवल 871 महिलाएं है।
केंद्र शासित प्रदेशों में लिंगानुपात:
- केंद्र शासित प्रदेशों में लिंगानुपात के आंकड़े 2011 के अनुसार निम्न प्रकार से है-
क्रमांक |
राज्य |
लिंगानुपात |
1. |
पंडूचेरी |
1038 |
2. |
लक्षद्वीप |
946 |
3. |
अंडमान निकोबार द्वीपसमूह |
878 |
4. |
दिल्ली |
861 |
5. |
चंडीगढ़ |
818 |
6. |
दादर एवं नगर हवेली |
775 |
7. |
दमन एवं दीव |
618 |
विश्लेषण:
- केंद शासित प्रदेशों में सबसे अधिक लिंगानुपात पंडूचेरी में है, जहां एक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या 1038 है। यानी यहां पुरुषों से अधिक जनसंख्या महिलाओं की है।
- इसके लक्षद्वीप में 946, अंडमान निकोबार में 878 दिल्ली जो देश की राजधानी है वहां 861, चंडीगढ़ एक आधुनिक शहर जो दो राज्यों पंजाब और हरियाणा की राजधानी है वहां लिंगानुपात 818 है।
- इसके बाद दादर एवं नगर हवेली 775, और केंद्र शासित प्रदेश में सबसे कम लिंगानुपात दमन एवं दीव (618) है।
निष्कर्ष:
- भारत में लिंगानुपात की स्थिति में काफी सुधार की आवश्यकता है।
- क्योंकि यहां पुरुषों को तुलना में महिलाओं की जनसंख्या कम है इसके कई कारण हो सकते है।
- वरन् भारतीय समाज में आज भी पुरुषों को अधिक संरक्षण प्राप्त है, यहां स्त्रियों के पालन पोषण पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता है।
- स्त्रियों को इस देश में आगे बढ़ने के अवसर भी कम मिलते है।
- प्रसव काल में मृत्यु, कन्या भ्रूण हत्या आदि भी स्त्रियों की जनसंख्या कम होने के कारण है।
- इन सभी कारणों का यथाचित निदान अति आवश्यक है तभी देश में लिंगानुपात की स्थिति में सुधार देखने को मिलेगा।
- देश में महिलाओं और पुरुषों की बराबर भागीदारी होना चाहिए तभी देश की उन्नति होगी।
- हालांकि आगे की जनगणाओं में लिंगानुपात में सुधार होने की आशा है क्योंकि पहले की तुलना में भारतीय समाज में काफी परिवर्तन आया है।
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