ग्रामीण जनसंख्या का अर्थ:
- ग्रामीण जगहों या गांवों में रहने वाले व्यक्तियों के समूह को ग्रामीण जनसंख्या कहते है।
- जनसंख्या से जुड़े अध्ययन में उन सभी को ग्रामीण कहा जाता है जिसको सरकार की ओर से नगरीय नहीं कहा गया है।
- अब चाहे उस गांव की क्रियाकलाप नगरीय जैसे लगती हो लेकिन आधिकारिक रूप से उसे ग्रामीण जनसंख्या ही कहा जायेगा।
- ग्रामीण जनसंख्या ज्यादातर प्राथमिक व्यवसाय जैसे कृषि, पशुपालन, मछली पालन, कृषिगत छोटे उद्योगों में संलग्न रहती है।
ग्रामीण समुदाय एक प्रकार का विस्तृत प्राथमिक समूह है। (A rural community is kind of enlarged primary group.)
गांव वह समुदाय है जहां अपेक्षाकृत अधिक समानता, अनौपचारिकता, प्राथमिक समूहों को प्रधानता, जनसंख्या का कम घनत्व तथा कृषि प्रमुख व्यवसाय होता है।
ग्रामीण जनसंख्या के निर्धारक तत्व:
- ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व थोड़ा कम होता है।
- इसके लिए न्यूनतम जनसंख्या का निर्धारण करना कठिन है।
- भारत जैसे अधिक जनसंख्या वाले देशों में प्रति वर्ग किलो मीटर 400 व्यक्ति से कम जनसंख्या वाले अधिवास को ग्रामीण क्षेत्र में रखा जाता है।
- गांव के लोगों का संबंध ज्यादातर सामान्य मकान, झोपड़ी तथा खेतों से होता है।
- वे लोग छोटे आवासों में रहते है जिसका आकार, घनत्व दोनो कम होता है।
- ग्रामीण जनसंख्या ज्ञात करने की एक विधि भूमि उपयोग है पश्चिमी देशों में विस्तृत भूमि उपयोग को ही ग्रामीण क्षेत्र में शामिल किया जाता है।
- गांव में कृषि, पशुचरण, शिकार करना, मछली पकड़ना, लकड़ी करना, खान खोदना इत्यादि कार्य में ज्यादातर ग्रामीण जनसंख्या ही संलग्न रहती है।
ग्रामीण क्षेत्रों की विशेषताएं:
- ग्रामीण क्षेत्रों के अधिवास आधुनिक डिजाइन के नहीं बने होते यह ऐसे लोगों के रहने के बने होते है जो ज्यादातर कृषि कार्य करते है।
- हालाकि यह मान लेना की ग्रामीण क्षेत्र में केवल कृषि कार्य में लगी जनसंख्या रहती है यह सर्वथा अनुचित है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक व्यवसाय के लोग भी होते है जैसे- पशुपालन, मछली पालन, कृषिगत छोटे उद्योग।
- ग्रामीण क्षेत्रों में का भूमि उपयोग प्राथमिक उत्पादन से संबंधित है।
- ग्रामीण जनसंख्या में मकान ज्यादातर क्षैतिजाकार होता है।
- यहां की जनसंख्या अपने मकान स्थानीय सामानों से बनाई जाती है।
- इन क्षेत्रों में सड़कें पक्की नहीं होती तथा नालियों की भी अच्छी व्यवस्था नही होती है।
- ग्रामीण क्षेत्रों की जनसंख्या प्राकृतिक दृष्टि से ज्यादा निकट होते है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में गतिशीलता कम होती है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाली जनसंख्या साधारण जीवन व्यतीत करती है।
- शिष्टाचार उनके स्वभाव का अंग है।
- ये लोग बाहर के लोगो से ज्यादा संपर्क में नहीं होते है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्त्रियों की दशा अच्छी नहीं होती और वे ज्यादातर अशिक्षित ही रहती है।
ग्रामीण जनसंख्या की श्रेणियां:
ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाली जनसंख्या को उनके व्यवसाय के आधार पर निम्न तीन भागों में बांट जाता है-
1. प्राथमिक क्रियाओं लगी जनसंख्या-
- इन क्रियाओं में कृषि, पशुचरण, शिकार करना, मछली पकड़ना, लकड़ी करना, खान खोदना आदि में ग्रामीण जनसंख्या ही संलग्न रहती है।
2. द्वितीयक क्रियाओं में संलग्न जनसंख्या-
- द्वितीयक क्रियाओं में संलग्न ग्रामीण जनसंख्या में वे लोग आते है जो ग्रामीण शिल्प में लगे होते है।
- बढ़ाई, बुनकर, नाई, धोबी, कहार, जुलाहा, दुकानदार आदि इस वर्ग में आते है।
3. आकस्मिक क्रियाओं में संलग्न ग्रामीण जनसंख्या-
- ग्रामीण जनसंख्या में कुछ लोग स्वेच्छा से आकस्मिक क्रिया में ही संलग्न रहते है।
- सेना में भर्ती होने वाले लोग तथा विशेष कार्यवश कुछ समय से किसी कार्य में व्यस्त रहना इसी प्रकार के आकस्मिक कार्य है।
नगरीय जनसंख्या का अर्थ:
- नगरों में निवास करने वाली जनसंख्या को नगरीय जनसंख्या कहते है।
- लेकिन अलग-अलग देशों में समय-समय पर नगर की संकल्पना बदलती रहती है।
- भारत में 1961 की जनगणना से नगरीय जनसंख्या वह है जिसमे 75% से अधिक पुरुष जनसंख्या गैर कृषि कार्य में लगी हो।
- जनसंख्या का घनत्व 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलो मीटर से कम न हो।
नगरीय स्थानों की विशेषताएं:
- नगरों में निवास करने वाली जनसंख्या द्वितीयक एवं तृतीयक क्रियाओं में संलग्न रहती है तथा जनसंख्या का घनत्व अधिक होता है।
- नगरीय जनसंख्या में बस्तियों के प्रबंधन व्यवस्था सामुदायिक संस्थाओं में हाथ में होती है।
- नगरों में अधिकांश श्रम अकृषि कार्यों में संलग्न होती है।
- नगर के लोगों का जीवन वाणिज्य एवं उद्योगों पर आधारित होती है।
- नगर उत्पादक क्षेत्रों से घिरे होते है तथा परिवहन मार्गों से जुड़े होते है।
ग्रामीण तथा नगरीय जनसंख्या में अंतर या भेद:
1. व्यवसाय में अंतर-
- ग्रामीण व नगरीय जनसंख्या के व्यवसाय में काफी अंतर देखने को मिलता है।
- प्रायः गांवों में ज्यादातर जनसंख्या प्राथमिक कार्यों में संलग्न होते है।
- प्राथमिक कार्यों में कृषि, पशुपालन, मछली पालन आदि आते है।
- नगर के लोग अधिकांशतः द्वितीयक अथवा तृतीयक कार्य जैसे- वाणिज्य एवं उद्योगों निर्भर रहते है।
2. समुदाय का आकार-
- ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाली जनसंख्या अधिकतर उत्पादन कार्य में लगे होते जिसके करा अधिक भूमि को जरूरत होती है।
- नगर में भूमि की जरूरत कम होती है क्योंकि वहां के लोग कम जगह में ही आर्थिक क्रियाएं करके जीविका कमा लेते है।
- ग्रामीण समाज बहुत अधिक नहीं बढ़ते जबकि नगरीय समाज अधिक बड़े होते है।
3. जनसंख्या का घनत्व-
- ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व कम होता है।
- नगरों में जनसंख्या सघन बसी होती है।
- नगरों में कई मंजिला इमारत में जितने लोग रहते है उतना गांव में कई घर या पूरा गांव मिलाकर रहते है।
- 4. सामाजिकता में भिन्नता-
- गांव एवं नगरों की जनसंख्या में सामाजिकता में भिन्नता मिलती है।
- नगरों के सामाजिक वर्ग बहुत अधिक जटिल होती है।
- गांवों में सामाजिक वर्ग सरल होता है।
- गांवों में एक ही प्रजाति के लोग एक स्थान पर रहते है जबकि नगरों में अलग-अलग स्थान पर होते है।
5. गतिशीलता में अंतर-
- गांवों को जनसंख्या अधिक गतिशील नहीं होती है।
- गांव के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी उसी कृषि भूमि पर खेती करते रहते है।
- ग्रामीण जनसंख्या में घर स्थाई व निजी होते है।
- नगरों में जनसंख्या अधिक गतिशील होती है।
- नगर में निवास करने वाले लोग अपनी सुविधा के अनुसार व्यवसाय और मकान में स्थानांतरित होते रहते है।
- नगरों में व्यवसाय इस तरह होते है जिसे किसी भी समय किसी भी जगह ले जाया जा सके।