छत्तीसगढ़ की भूगर्भिक संरचना चट्टानों का वर्णन | Description of the Geological Formation Rocks of Chhattisgarh
प्राचीन समय में छत्तीसगढ़ दक्कन के पठार का ही एक भाग माना जाता है।
भूमिका-
- प्राचीन समय में छत्तीसगढ़ दक्कन के पठार का ही एक भाग माना जाता है।
- पर्वत निर्माणकारी शक्तियों के द्वारा काफी बड़े भाग पर उत्थान एवं भ्रंश के कारण कई स्थानों पर भूमि धंसी हुई दिखाई पड़ती है।
- यहां नये और पुराने दोनो तरह के चट्टान पाए जाते है।
- यहां आर्कियन, कड़प्पा जैसी पुराने चट्टान है।
- इसके अतिरिक्त धारवाड़, गोंडवाना, दक्कन चट्टाने भी पाई जाती है।
प्रमुख शैल समूह-
1. आर्कियन समूह-
- आर्कियन समूह की चट्टानें भूगर्भ में काफी गहराई पर पाए जाते है।
- यह शैल समूह कायांतरित हो चुकी है जिसका प्रमुख कारण ग्रेनाइट एवं शिष्ट चट्टान में ज्वालामुखी अंतर्वेधन से है।
- नदियों के बाढ़ के कारण ये शैलें अपक्षयित होकर बिखरे हुए रूप में मिलती है।
- इन चट्टानों में जीवाश्म नहीं पाया जाता है।
- सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में यह 50% भाग में पाए जाते है।
- ग्रेनाइट, नीस, कांग्लोमरेट, माइका, शीष्ट इसी समूह की चट्टानें है।
- इस तरह की शैल समूह लुण्ड्रा, बगीचा, पत्थलगाँव, सामरी, कुनकुरी, जशपुर, घरघोड़ा, सीतापुर, अम्बिकापुर में पाए जाते है।
- इसके अतिरिक्त कोटा, पेण्ड्रा रोड, पण्डरिया, लोरमी, महासमुंद, राजिम, धमतरी, कुरूद, गरियाबंद, बालोद, डैण्डीलोहारा, चारामा, भानुप्रतापपुर, कोंडा गाँव, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा तथा कोटा क्षेत्र आते है।
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भूगर्भिक संरचना का मानचित्रण |
2. धारवाड़ शैल समूह-
- यह एक तरह की रूपांतरित चट्टानें है जो आर्कियन समूह के अवसादों से लंबे समय तक अपरदन और अपक्षय से हुआ।
- धारवाड़ शैल समूह कृषि के लिए ज्यादा उपयुक्त नहीं होती है।
- छत्तीसगढ़ राज्य के बाहरी सीमा पर चारों ओर धारवाड़ शैल समूह पायी जाती है।
- स्लेट, क्वार्ट्ज, शिष्ट, कांग्लोमरेट, नीस प्रमुख शैलें है।
- इस तरह की चट्टानें कसडोल, जगदलपुर, भानुप्रतापपुर, दंतेवाड़ा, मोहला, वाड्रफनगर, कवर्धा, पाल तथा पण्डरिया में पाये जाते है।
- इसके अतिरिक्त नारायणपुर, भानुप्रतापपुर तहसीलों में आरी डोंगरी, अबूझमाड़ एवं दन्तेवाड़ा के बैलाडीला में भी धारवाड़ शैल समूह पाई जाती है।
3. कड़प्पा शैल समूह-
- कड़प्पा शैल समूह के अंतर्गत प्राचीन शैलें सम्मिलित की जाती है।
- दरअसल ये अवसादी चट्टानें ही होती है जिनका निर्माण धारवाड़ चट्टानों के अपरदन और निक्षेपण से बना है।
- यह चट्टाने प्रदेश में लगभग 25-30% भाग पर मिलता है जो लगभग 32,418 वर्ग किलोमीटर है।
- शैल, स्लेट, चुना पत्थर, डोलोमाइट आदि इस कड़प्पा शैल समूह की चट्टानें है।
- जगदलपुर, महासमुंद, भोपालपट्टनम, सरायपाली, नवागढ़, गुण्डरदेही पाटन, धमधा, दुर्ग, कसडोल, भाटापारा, तिल्दा, बलौदा बाजार, बिलाईगढ़, रायगढ़, सांभरगढ़, डभरा, सक्ती, जांजगीर-चांपा, बिल्हा, बिलासपुर, मुंगेर, तखतपुर क्षेत्रों इनका विस्तार मिलता है।
4. गोंडवाना शैल समूह-
- गोंडवाना शैल समूह का निर्माण कार्बोनीफेरस और जुरैसिक काल के बीच हुआ था।
- इसका निर्माण वनस्पति एवं जीवाशेष के निक्षेप से हुआ है।
- लोहा और कोयल जो कि एक महत्वपूर्ण संसाधन है जो गोंडवाना शैल समूह शैल में ही पाये जाते है।
- प्रदेश में इस चट्टान का विस्तार लगभग 17% क्षेत्र में होता है।
छत्तीसगढ़ में इसके दो प्रमुख प्रदेश में है-
ऊपरी गोंडवाना-
- इसके अंतर्गत कांगलोमरेट, क्वार्ट्जाइट तथा चूना पत्थर सम्मिलित हैं।
- महादेव श्रेणी के बैकुण्ठपुर, जनकपुर, सूरजपुर व प्रतापपुर तहसीलों में यह क्रम पाया जाता है।
निचली गोंडवाना-
- इसकी प्रमुख शैलें बालुका पत्थर, चूना पत्थर, ग्रिट तथा क्ले हैं।
- इनका विस्तार महेन्द्रगढ़, अम्बिकापुर, बैकुण्ठपुर, सूरजपुर, कटघोरा, खरसिया, रायगढ़, धरमजयगढ़ में पाया जाता है।
5. दक्कन ट्रैप शैल समूह-
- इस समूह की शैलें बेसाल्ट युक्त लावा से निर्मित हैं।
- इसका विस्तार पण्डरिया, लोरमी तथा पेण्ड्रारोड तहसीलों के ऊपरी सीमान्त, जशपुर बगीचा, आदि तहसीलों में पाया जाता है।
- दक्कन ट्रेप का विस्तार प्रदेश में मैकाल श्रेणी के पूर्वी भाग तक मिलता है।
- इन शैलों के अपघटन से यहाँ काली मिट्टी का निर्माण हुआ है जो कृषि के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
- बिलासपुर एवं राजनांदगाँव जिलों का अधिकांश पूर्वी भाग इस समूह की शैलों के अंतर्गत आता है।
6. लैटराइट शैलें-
- दक्कन की अवशिष्ट शैलों में ये सर्वाधिक महत्वपूर्ण है।
- इनमें लोहे की मात्रा अधिक पायी जाती है।
- लोहे के अतिरिक्त इनमें बॉक्साइट, मैंगनीज, कोयला तथा क्वार्टज भी पाये जाते हैं।
- नदी घटियों व नालों पर एल्युमिनियम शैलों का निक्षेप है।
- इस प्रकार की शैलें उत्तरी वाइफ नगर, उत्तरी पाल, बगीचा तथा लुण्ड्रा तहसीलों में पायी जाती हैं।
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