मिट्टी का वर्गीकरण (विश्व के संदर्भ में) | Soil Classification (with special reference to the world)
मिट्टी का वर्गीकरण | विश्व में किस तरह की मिट्टी पाई जाती है।
विश्व मृदा का वर्गीकरण:
(I) कटिबंधीय मिट्टियां-
- कटिबंधीय मिट्टियां वे मिट्टी है जो वनस्पति और जलवायु के दीर्घकालीन प्रभाव से निर्मित होती है।
- विश्व में इन मिट्टियों का वितरण वनस्पति जलवायु के रूप में पाया जाता है।
पेडाल्फर मिट्टी-
- पेडाल्फर मिट्टी में एल्यूमिनियम और लोहांश की मात्रा अधिक होती है।
- पेडाल्फर मिट्टी का लेटेराजेशन के दौरान इसमें खनिज तथा जैव पदार्थों का अपक्षालन और अपनयन मिट्टी की A परत के नीचे होता है।
- पेडाल्फर मिट्टी में लोहा तथा एल्यूमिनियम की मात्रा एक समान नही होती है लेकिन इन पदार्थों को अधिकता होती है।
पेडाल्फर मिट्टी को भी दो भागों में बांट गया है-
(1) वन प्रदेशीय पेडाल्फर मिट्टियां-
(A) पॉडजोल मिट्टी-
- इस मिट्टी का निर्माण पॉडजोली क्रिया द्वारा होता है।
- इसमें जैव पदार्थ तथा कैल्शियम का अभाव होता है।
- मिट्टी की A परत की गहराई 1 फीट से कम होती है।
- B परत की गहराई अधिक होती है। यह एक अनुर्वरा मिट्टी है।
- यह कनाडा, अलास्का, तथा पूर्व सोवियत रूस के अधिकतर भागों में मिलता है।
(B) पॉडजोलिक मिट्टी-
- पॉडजोलिक मिट्टी, पॉडजोल मिट्टी के दक्षिण पायी जाती है।
- इस मिट्टी में जीवाणु प्रक्रिया अधिक होती है।
- पॉडजोलिक मिट्टी में वन क्षेत्रों में होने से पेड़ की पत्तियां नीचे गिरने से जीवांश की मात्रा अधिक होती है।
- पॉडजोलिक मिट्टी में, पॉडजोल मिट्टी की तुलना में A,B की परत की गहराई अधिक होती है।
(C) लेटराइट मिट्टी-
- लेटराइट मिट्टी विषुवत रेखीय प्रदेश में पाए जाते है।
- यहां लेटराइटजेशन की प्रक्रिया द्वारा मिट्टी का निर्माण होता है।
- लेटराइट मिट्टी में खनिज पदार्थों की मात्रा कम पाई जाती है क्योंकि इसमें जैव पदार्थों का अपक्षायन और अपनयन हो जाता है।
2. घास प्रदेशीय पेडाल्फर मिट्टियां-
- घास प्रदेशीय पेडाल्फर मिट्टियों द. पू. चीन, दक्षिणी ब्राजील, द. पू. अमेरिका, अफ्रीका, भारत, दक्षिणी जापान प्रदेशों में पायी है।
- ये मिट्टियां लेटराइजेशन तथा पॉडजोलिकी प्रक्रिया विभिन्न अनुपात में काम करती है।
- प्रेयरी मिट्टी- प्रेयरी मिट्टी में जैव पदार्थ अधिक पाए जाते है इसलिए यह काफी ज्यादा उर्वरा होती है।
- प्रेयरी मिट्टी उत्तरी संयुक्त राज्य अमेरिका दक्षिणी सोवियत रूस आदि में अधिक मिलती है। इसके अतिरिक्त अर्जेंटीना में भी मिलती है।
पेडोकल मिट्टी-
- पेडोकल मिट्टी में चूने की मात्रा अधिक होती है।
- पेडोकल मिट्टी में विभिन्न कोशिकीय क्रिया द्वारा मिट्टी की निचली परतों का चूना ऊपर आ जाता है।
पेडोकल मिट्टी में तीन प्रकार की मिट्टियां विभिन्न क्षेत्रों में मिलती है-
1. चारनोजम मिट्टी-
- इस प्रकार की मिट्टी में जैव पदार्थ तथा नाइट्रोजन की अधिकता होती है।
- ये मिट्टी ज्यादातर घास वाले क्षेत्रों में मिलती है।
- A स्तर की मिट्टी लगभग 1.5 फीट तक होती है जिसमे जैव पदार्थ तथा चिका मिट्टी की प्रधानता होती है।
- B परत की गहराई लगभग 2 से 3 फीट तक होती है।
- चारनोजम मिट्टी का रंग काला होता है।
- सं.रा.अ में प्रेयरी के पश्चिम में लगभग 300 किलो मीटर की चौड़ी पेटी में चारनोजम मिट्टी पाई जाती है।
2. भूरी स्टेप्स मिट्टी-
- इसमें जैव पदार्थ कम मात्रा में पाई जाती है।
- चूने की परत ऊपर मिलती है।
- ये मिट्टी चारनोजम और मरुस्थल मिट्टी के बीच के भाग मिलता है।
- इसमें A तथा B परत की गहराई सीमित रहती है।
3. मरुस्थलीय मिट्टी-
- मिट्टी की गहराई बहुत कम होती है क्योंकि यह मिट्टी बहुत ही शुष्क क्षेत्रों में मिलती है।
- शुष्क होने का कारण इनमे जैव पदार्थों का अभाव होता है।
टुण्ड्रा मिट्टी-
- यह मिट्टी बहुत ही कम विकसित होती है क्योंकि यहां अत्यधिक शीत पड़ती है।
- यह एक अनुर्वर मिट्टी है।
- इनमे जैव पदार्थ नही पाए जाते है।
(II) अंतः कटिबंधीय मिट्टियां-
- अंतः कटिबंधीय मिट्टियां वे मिट्टियां है जिनका निर्माण मूल चट्टान, धरातल, ढाल, जल प्रवाह आदि की भूमिका अधिक होती है।
- इन मिट्टियों के निर्माण में जलवायु की भूमिका कम होती है।
- यह मिट्टी कटिबंधीय मिट्टियों के बीच-बीच में बिखरे रहते है इसलिए इन्हे अंतः कटिबंधीय मिट्टियां कहते है।
- प्रमुख अंतः कटिबंधीय मिट्टियां है- काली मिट्टी, पीट मिट्टी, दलदली मिट्टी, मक मिट्टी आदि आती है।
- यह उपजाऊ तथा अनुपजाऊ दोनो प्रकार की होती है।
(III) अपार्श्विक मिट्टियां-
- यह एक अविकसित मिट्टी है।
- इस प्रकार की मिट्टी में स्तरों का ठीक तरह से विकास नही होता है।
- इसमें जैव पदार्थ तथा खनिज पदार्थ भी पाए जाता है।
- जलोढ मिट्टी, लोयस मिट्टी, लीथोसाॅल आदि प्रमुख अपार्श्विक मिट्टियां है।
- इस प्रकार की मिट्टियां नदियों के किनारे पाई जाती है।
- जो ज्यादा बाढ़ आदि के आने से बनती है।
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