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संघनन क्या है | What is Condensation

संघनन प्रक्रिया, संघनन का अर्थ
संघनन क्या है

सामान्य परिचय:

  • संघनन जलवाष्प के विपरीत है।
  • इसमें वायुमंडल में उपस्थित जलवाष्प बर्फ या पानी में बदल जाता है।
  • संघनन की प्रक्रिया वायुमंडल में उपस्थित आपेक्षित आर्द्रता के ऊपर निर्भर है।
  • वायु का तापक्रम ओसांक बिंदु तक गिरने पर उसके आर्द्रता धारण की क्षमता कम हो जाती है।
  • अतिरिक्त आर्द्रता या जलवाष्प संघनित होकर तरल या ठोस अवस्था में हो जाती है।
  • संघनन की क्रिया वायु राशि के तापमान में कमी अथवा आपेक्षित आर्द्रता की मात्रा में वृद्धि होने से निम्नांकित परिस्थितियों में संपन्न होती है-
  • जब वायु राशि की आर्द्रता धारण क्षमता, तापमान और आयतन के संपूर्ण रूप से घटने के कारण घटकर आर्द्रता की मात्रा कम हो जाती है।
  • जब वायुमंडल का तापमान घटकर ओसांक बिंदु पर पहुंच जाए, किंतु उस वायु राशि का आयतन स्थिर रहे।
  • जब वाष्पीकरण द्वारा वायु राशि में आर्द्रता की अतिरिक्त मात्रा बढ़ा दी जाए।
  • जब वायु राशि की आयतन ऊष्मा की मात्रा बढ़ाए बिना ही बढ़ जाए।

संघनन के रूप(Forms of Condensation)-

1. ओस (Dew)-

  • रात्रि में ताप प्राप्ति की मात्रा से विकिरण द्वारा ताप त्याग की मात्रा अधिक होती है।
  • इसके परिणामस्वरूप धरातल एवं इसके सभी पदार्थ रात्रि में ठंडे हो जाते है।
  • इस ठंडे धरातल एवं ठंडे पदार्थों जब वायु स्पर्श करती है, तो वह भी ठंडी हो जाती है।
  • जिससे उसमे व्याप्त आर्द्रता संघनन क्रिया द्वारा जल बिंदुओं में बदल जाता है।
  • इस जल बिंदु को ही ओस कहते है।
ओस
ओस

2. पाला (White Frost)-

  • जब वायु की जलवाष्प का संघनन 0°C से नीचे तापक्रम पर होता है।
  • तो जल वाष्प तरल पदार्थों में न बदल कर सीधे ठोस हिम कणों में बदल जाता है।
  • ये हिम कण ही पाला के रूप में पृथ्वी तल पर वनस्पति पत्तियों आदि पर जम जाते है।
  • पाला पड़ने के लिए स्वच्छ आकाश, शांत वातावरण, शीतल तथा लंबी रातें और उच्च आपेक्षित आर्द्रता की दशाएं अनुकूल होती है।
  • भारत में पाला की दशा ज्यादातर शीत ऋतु में देखा जाता है।
पाला
पाला

3. कुहरा (Fog)-

  • जब आर्द्र वायु का तापमान ओसांक बिंदु पर पहुंच जाता है तथा वायु और अधिक शीतल हो जाती है।
  • ये जल कण अत्यंत छोटे होने के कारण वायु में ही बने रहते है।
  • इससे वायुमंडल में धुएं जैसा बादल दिखने लगता है।
  • संघनन के परिणाम स्वरूप जल कण वायुमंडल में व्याप्त धूल कणों के चारों ओर एकत्र हो जाते है और जल सीकर में बदल जाते है।
कुहरा
कुहरा

कुहरा का वर्गीकरण (Classification of Fog)-

1. विकिरण कुहरा-

  • शीतल धरातल पर गर्म तथा आर्द्र वायु के होने से वायु ठण्डा होकर संघनित हो जाती है।
  • जल-कण जल-सीकरों में बदल कर कुहरा बन जाते हैं।

2. संपर्कीय कुहरा-

  • दो विभिन्न तापक्रम वाली वायु राशियों के सम्पर्क में आने पर जो कुहरा उत्पन्न होता है उसे संपर्कीय कुहरा कहते है।
  • यह पवन के क्षैतिज संचरण के समय उनके तापमान में गिरावट के कारण होता है।
  • इसकी ऊंचाई 300 से 600 मीटर तक होती है।

3. सीमांत या वातग्री कुहरा-

  • जब विभिन्न तापक्रम वाली वायु राशियां विपरित दिशाओं में आकर एक रेखा के सहारे आमने सामने मिलती है, तो सीमांत या वाताग्र बनता है।

4. धुंध या कुहासा-

  • धुंध या कुहासा कुहरे का हल्का रूप है।
  • धुंध के छा जाने पर भी एक से दो किलो मीटर की दूरी दिखाई नही पड़ती है।
  • सामान्यतः सूर्योदय या सूर्यास्त के समय यह स्थिति बनती है।

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Namaste! I'm sudhanshu. I have done post graduation in Geography. I love blogging on the subject of geography.

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