सामान्य परिचय:
- भगोल में चट्टान शब्द का प्रयोग बालू, मिट्टी, कंकड़, कीचड़, आदि सभी पदार्थों के लिए किया जाता है।
- विभिन्न प्रकार के खनिजों से चट्टान का निर्माण होता है।
- चट्टान में खनिजों की संख्या लगभग 2,000 है।
- यदि धरातल चिकना और चमकीला दिखाई पड़ता है तो यह ज्यादातर धात्विक खनिज होता है,जैसे तांबा, सीसा, सोना आदि।
- यदि खनिज का धरातल चमक से रहित है तो यह अधात्विक खनिज है, जैसे जिप्सम, क्वार्ट्ज, अभ्रक आदि।
आग्नेय चट्टानें–
- पूर्व में पृथ्वी के समस्त पदार्थ अत्यधिक तप्त एवम तरल अवस्था में थे, किंतु करोड़ों वर्ष की अवधि में धीरे–धीरे क्रमशः इसकी ऊपरी परत ठंडी होती गई और एक समय इसने भूपर्पटी का रूप धारण कर लिया।
- भूपर्पटी में सर्वप्रथम मैग्मा से वाष्प के अलग हो जाने से लावा तथा लावा के शीतल होने से जिन चट्टानों की रचना हुई, वे आग्नेय चट्टान कहलायी।
- क्योंकि इन चट्टानों की रचना अत्यंत तप्त पदार्थ लावा से हुई, इसलिए इन्हे आग्नेय चट्टान कहा जाता है।
- चट्टानों की रचना आज भी ज्वालामुखी से निःसृत लावा के शीतल होने से हो रही है।
- ग्रेनाइट, बेसाल्ट, गैब्रो, पैग्मेटाइट आदि इसके उदाहरण है।
- भारत का दक्कन का पठार आग्नेय चट्टानों से ही बना है।
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A.पातालीय चट्टानें–
- धरातल से बहुत गहराई पर मैग्मा अत्यंत मंद गति से शीतल होता हुआ, जमकर, कठोर रूप धारण कर लेता है, इन्हे ही पाटालीय चट्टानें कहा जाता है।
- ग्रेनाइट, गैब्रो इसका अच्छा उदाहरण है।
- मैसूर, उत्तर आरकट, मद्रास, राजपूताना, सलेम, बुंदेलखंड और सिंहभूमि में पर्याप्त प्राप्त होता है।
B. मध्यवर्ती आग्नेय चट्टानें–
- यह कम गहराई पर मैग्मा के ठंडा होने से बनती है।
- जब मैग्मा जल वाष्प तथा अन्य गैसे उत्प्रेरित होकर ऊपर की ओर धरातल पर आने का प्रयास करती है तो मार्ग में पड़ने वाली विभिन्न प्रकार की खड़ी व पड़ी चट्टानों की संधियों के रिक्त स्थलों में जाकर मैग्मा भर जाता है।
- यही मैग्मा चट्टानों का रूप ले लेती है।
- डोलेराइट तथा माइका ऐसी ही चट्टानें है।
C.ज्वालामुखीय चट्टानें–
- जब धरातल पर मैग्मा पहुंचता है, तो उसका गैसीय अंश वायुमंडल में विलीन हो जाता है तथा शेष पदार्थ धरातल पर फेल जाता है।
- गैस रहित यह पदार्थ ही लावा कहलाता है। धरातल धरातल पर इस लावा के जम जाने से बहिर्वेधी आग्नेय चट्टानों की रचना होती है इसे ज्वालामुखी चट्टान भी कहते है।
आग्नेय चट्टानें |
आग्नेय चट्टानों की विशेषताएं:
- रावेदार चट्टानें होती है।
- परते नहीं पायी जाती है। Massive होती है।
- अधिक कठोर तथा संगठित होती है।
- इनका अपरदन नहीं होता, अपक्षय होता है।
- आग्नेय चट्टान में जीवाश्म नही पाए जाते।